डायबिटीज, जिसे आम तौर पर को मधुमेह या शुगर के नाम से भी जाना जाता है, एक जीवन शैली विकार है। इस स्थिति में शरीर में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड शुगर की मात्रा असंतुलित मात्रा में काफी अधिक हो जाती है। इस बिमारी के आम लक्षण ज्यादा भूख या प्यास लगना, थकान महसूस होना, आँखों के सामने धुंधलापन या बिना किसी कारण के वजन घट जाना हो सकते हैं। लेकिन, एक सुनियोजित डायबिटिक डाइट चार्ट का पालन करके विकार और इसके लक्षणों को नियंत्रण में लाया जा सकता है।
डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज आम तौर पर बच्चों में पाया जाता है और इसमें अग्न्याशय (पैनक्रिआस) इन्सुलिन बनाना बंद कर देते हैं। वहीँ, टाइप 2 डायबिटीज को कम खतरनाक माना जाता है और इसमें अग्न्याशय (पैनक्रिआस) इन्सुलिन बनाते तो हैं, लेकिन यह सामान्य रूप से पर्याप्त नहीं होता।
यह कहना गलत नहीं होगा की डायबिटीज (मधुमेह) एक खतरनाक बीमारी है और इसे नियंत्रण में रखना जरूरी है। इसलिए, सही आहार का पालन करना और अपने शरीर की अच्छी देखभाल करना इस बीमारी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मधुमेह (डायबिटीज) डाइट में सम्मिलित करने हेतु उपयुक्त खाद्य पदार्थ
कुछ खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, और इनके सेवन से आपको मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना भी बेहद फायदेमंद होता है जो मधुमेह सम्बन्धी जटिलताओं, जैसे हृदय और गुर्दे की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
डायबिटिक डाइट में सम्मिलित होने वाले ये 10 आहार, डायबिटिक सम्बन्धी विकार को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी, पत्तेदार सब्ज़ियों में कम कैलोरीज पाई जाती हैं और ये सब्ज़ियां काफी पौष्टिक होती हैं। साथ ही, पाचन योग्य कार्बोहाइड्रेट्स कम मात्रा होने की वजह से, ये पत्तेदार हरी सब्ज़ियां ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रण में रखती है।
उदाहरण के तौर पर, पालक, केल (एक तरह की हरी, पत्तेदार सब्जी) और दूसरी तरह की हरी पत्तेदार सब्जियां विटामिन (जैसे विटामिन सी) और मिनरल्स से भरपूर होती है। एक शोध में पाया गया है की विटामिन सी का बढ़ना टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में फास्टिंग ब्लड शुगर के स्तर को घटा देती है।
- दालचीनी
काफी मात्रा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स के अलावा, दालचीनी को डायबिटीज नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता है। अनेक शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में यह पाया हैं कि दालचीनी ब्लड शुगर के स्तर को कम करती है और इन्सुलिन की संवेदनशीलता (इंस्लुइन सेंसिटिविटी) को भी बढाती है।
हालांकि, आपको कैसिया दालचीनी (दालचीनी का एक प्रकार) का प्रतिदिन एक चम्मच से ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार की दालचीनी में कौमारिन की उपस्थिति के कारण, इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। दूसरी ओर, सीलोन दालचीनी में ज्यादा कौमारिन नहीं होता है।
- फैट-युक्त मछलियां (फैटी-फिश)
यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको सैल्मन, सार्डिन, और मैकेरल जैसी फैट-युक्त मछलियों को अपने आहार में सम्मिलित करना चाहिए। यह फैट युक्त मछलियां डीएचए (DHA) और ईपीए (EPA) जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का अच्छा स्रोत होती हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स आपके दिल की सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं। इस तरह के फैट (वसा) को अपने आहार में सम्मिलित करना ख़ास तौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें दिल के रोगों का खतरा ज़्यादा है।
डीएचए और ईपीए इन्फ्लेमेशन मार्कर्स (ऐसे तत्त्व जो शरीर में सूजन पैदा करते हैं) को कम करते है। ये आहार धमनियों के कार्य करने के तरीके में भी सुधार करते हैं और रक्त वाहिकाओं के सेल लाइनिंग की रक्षा करते हैं। उपरोक्त बिंदु को सिद्ध करने के लिए साक्ष्य आधारित अध्ययन हुए हैं।
शोध में यह दिखाया गया है कि ऐसे बुजुर्ग लोग जो लगभग 8 सप्ताह तक, प्रति सप्ताह 5 बार से अधिक वसायुक्त मछली खाते हैं, उनमें ट्राइग्लिसराइड के स्तर और सूजन मार्करों में महत्वपूर्ण कमी आई है। साथ ही, इन मछलियों में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन भी होता है जो आपको लंबे समय तक भूख लगने से बचाता है और पकी चयापचय दर (मेटाबोलिक रेट) को बढ़ाता है।
- चिया के बीज (चिआ सीड्स):
चिया के बीजो में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है और इनमें कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा भी कम होती है। साथी ही, इनमें मौजूद लसदार (विस्कस) फाइबर ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है। विस्कस फाइबर उस दर को धीमा करता है जिस पर भोजन आंत के माध्यम से आगे बढ़ रहा है और अवशोषित हो रहा है। इसी वजह से ये रक्त शुगर के स्टार को कम रखता है।
इसके अलावा, चिया के बीजों में मौजूद फाइबर पेट को ज्यादा देर तक भरा रखता है और इस तरह ज्यादा खाने और अनियंत्रित वजन बढ़ने से बचाता है। चिया के बीज ब्लड प्रेशर और इंफ्लेमेटरी मार्कर्स को भी कम करते हैं।
- ग्रीक दही (योगहर्ट):
ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने की क्षमता के कारण ग्रीक योगहर्ट मधुमेह रोगियों के लिए एक बेहतरीन डेयरी विकल्प है। ऐसा आंशिक रूप से उनमें प्रोबायोटिक्स की उपस्थिति के कारण है।
अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि दही और अन्य डेयरी उत्पादों के सेवन के परिणामस्वरूप टाइप 2 मधुमेह रोगियों में वजन कम हो सकता है और शरीर की संरचना बेहतर हो सकती है। चूंकि ग्रीक योगहर्ट में पारंपरिक दही की तुलना में कम कार्ब्स होते हैं, इसलिए यह मीट का एक बढ़िया विकल्प हो सकता है।
इसके अलावा, इसमें अधिक मात्रा में मौजूद प्रोटीन, वजन घटाने, अवांछित ज्यादा खाना खाने (बिंज ईटिंग) से बचने, और कार्बोहायड्रेट सेवन को संतुलित रखने में मदद करता है। इन सभी स्वस्थ्य लाभों के चलते, ग्रीक योगहर्ट को अपनी डायबिटिक डाइट में शामिल करना लाभकारी है।
- फ्लेक्स सीड (अलसी का बीज):
फ्लेक्स सीड अर्थात अलसी के बीजों में लिग्नांस से बना अघुलनशील (इन्सॉल्यूबल) फाइबर होता है। यह ह्रदय रोगों के जोखिम को कम करता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। एक अध्ययन से पता चला है कि टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों ने जब 12 सप्ताह तक अलसी के बीजो का सेवन किया तो उनके हीमोग्लोबिन में काफी बढ़ाव हुआ। इसी तरह, एक अन्य अध्ययन से पता चला की अलसी के नियमित सेवन से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। इसमें मौजूद चिपचिपा (विस्कस) फाइबर विभिन्न गतिविधियों में मदद करता है। आंतों का स्वास्थ्य, इंसुलिन संवेदनशीलता और शरीर में परिपूर्णता की भावना को बढ़ाना इसके कुछ उदाहरण हैं।
- नट्स
यह तो सभी को ज्ञात है की हर प्रकार के मेवे (नट्स) फाइबर युक्त होते हैं। साथ ही इनमें पचने योग्य फाइबर की मात्रा कम होती है। हालांकि, फाइबर की मात्रा सभी नट्स में अलग-अलग होती है। विभिन्न प्रकार के नट्स पर शोध से पता चला है कि उनके सेवन से सूजन कम हो सकती है और एचबीए1सी कम हो सकता है। यह शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) और एलडीएल (हानिकारक कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को भी कम कर सकते हैं। इस प्रकार, मधुमेह आहार योजना (डायबिटिक डाइट प्लान) में नट्स को शामिल करना बेहद लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन डायबिटीज रोगियों ने पूरे साल अपने दैनिक आहार में 30 ग्राम अखरोट शामिल किया, उनका वजन कम हुआ। यहां तक कि उनके शरीर की संरचना में सुधार दिखा,और उनके इंसुलिन के स्तर में काफी कमी आयी। टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में अक्सर इंसुलिन का स्तर अधिक होता है, और इसलिए इसे मोटापे से जोड़ा जाता है। शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि अत्यधिक इंसुलिन के स्तर से अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और कैंसर की भी सम्भावना बढ़ जाती है।
- एप्पल साइडर विनेगर (सेब का सिरका):
यह सत्य है कि एप्पल साइडर विनेगर सेब फल से बनता है, लेकिन फल में उपस्थित चीनी को एसिटिक एसिड में किण्वित (फरमेंट) किया जाता है, जिसकी वजह से इसमें कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा काफी कम होती है।
इसके अलावा एप्पल साइडर विनरगर (सिरका) इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है और ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है। अगर इसका कार्बोहाइड्रेट्स वाले भोजन के साथ सेवन किया जाए तो इसमें ब्लड शुगर के स्तर को 20% तक कम करने की क्षमता भी होती है। इसके अतिरिक्त, एक अध्ययन से पता चला है कि डायबिटीज पर ख़राब नियंत्रण रखने वाले लोगों ने जब सोने से पहले दो बड़े चम्मच एप्पल साइडर (विनेगर) सिरका का सेवन किया तो ब्लड शुगर के स्तर में 6% कमी अनुभव की।
- लहसुन:
लहसुन को हम उसके प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभों के लिए जानते है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि लहसुन टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में सूजन, ब्लड शुगर और एलडीएल के स्तर को कम कर सकता है। यह शरीर में ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने में भी काफी कारगर हो सकता है। इसके अलावा लहसुन में कैलोरी भी कम होती है, इसकी एक कलि में में सिर्फ 4 कैलोरी होती है।
- स्ट्रॉबेरी:
स्ट्रॉबेरी विशेष रूप से एंथोसायनिन नामक रसायन से भरपूर होती है। एंथोसायनिन वह एंटीऑक्सिडेंट है जो स्ट्रॉबेरी को उसका लाल रंग देता है। ये एंटीऑक्सिडेंट भोजन के ठीक बाद इंसुलिन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सक्षम है। यह टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि और हृदय रोगों के जोखिम को भी कम करता है।
एक कटोरी स्ट्रॉबेरी में 49 कैलोरी और केवल 11 ग्राम कार्बोहायड्रेट होते हैं, जिनमें से 3 ग्राम फाइबर है। स्ट्रॉबेर्री का संतुलित सेवन यह भी सुनिश्चित करता है कि आपको विटामिन सी का अपने आवश्यक दैनिक सेवन का 100% से अधिक प्राप्त हो। इसीलिए हृदय के स्वास्थ्य के लिए स्ट्रॉबेरी काफी लाभदायक होती है।
1200 कैलोरी युक्त डायबिटिक डाइट प्लान चार्ट:
अनियमित ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए एक उचित डायबिटिक मील प्लान असरदार है। इसलिए, हमने आपको यह समझने में मदद करने के लिए भारतीय भोजन के अनुरूप 1200 कैलोरी वाला डायबिटिक डाइट प्लान तैयार किया है। इसके अनुरूप आप डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए मील प्लान बना सकते हैं।
समय |
आहार |
सुबह 6:30 बजे |
मेथी के दाने: 2 छोटे चम्मच (भीगे हुए)पानी: 1 ग्लास |
सुबह 8:30 बजे |
बाजरे और सब्ज़ियों से बना हुआ चीला/डोसा: 2हरी चटनी: 1 छोटा चम्मच |
सुबह 11:00 बजे |
छाछ: 1 ग्लास सेब: 1 |
दोपहर 1:30 बजे |
मिक्स वेजिटेबल सलाद: 1 कप मल्टीग्रेन चपाती: 2याचपाती: 1 और ब्राउन राइस: ½ कटोरी मेथी दाल: 1 कटोरी भिंडी की सब्जी: 1 कटोरी |
शाम 4:30 बजे |
बिना चीनी/शहद के लेमन ग्रीन टी: 1 कप भुना हुआ चना: ¼ कप |
शाम 7:30 बजे |
स्प्राउट्स (अंकुरित) सलाद: 1 कटोरी |
रात 8:30 बजे |
मिक्स वेजिटेबल दलिया: 1 कप पुदीना दही चटनी: 2 चम्मच याचपाती: 1पालक की सब्जी: 2 कटोरी |
रात 10:00 बजे |
बिना चीनी डाले हुए दूध: ½ कप |
यह डाइट चार्ट डायबिटीज रोगियों के लिए एक सामान्य भारतीय डाइट चार्ट के रूप में अच्छा है, परन्तु इस डाइट प्लान का पालन करने से पहले एक पोषण विशेषज्ञ (नूट्रिशनिस्ट) से जरूर सलाह लें।
डायबिटीज के रोगियों के डाइट से जुड़े कुछ मिथक:
नीचे दिए गए खंड में हम डायबिटीज से जुड़े सामान्य मिथकों को दूर करने कि कोशिश करेंगे ताकि डायबिटीज आपकी आम जीवनशैली में बहुत परिवर्तन लाये बिना भी नियंत्रित कि जा सके।
डायबिटीज होने पर आपको हर मीठे खाद्य पदार्थ का त्याग कर देना चाहिए!
यह एक आम मिथक है। डायबिटीज हमारे समाज में आम हो गया है परन्तु इससे जुड़ी गलतफहमिया अभी भी मौजूद है। हालंकि, यह समझना होगा कि यदि आप डायबिटीज के रोगी हैं, तो आपने निश्चित रूप से डायबिटीज के रोगियों के लिए ना खाने वाली चीजों की एक लंबी सूची के बारे में सुना होगा। लेकिन डायबिटिक खाने में भी कई चीजें मीठी और स्वादिष्ट हो सकती हैं।
कार्बोहाइड्रेट्स आपके लिए हानिकारक हैं!
यह सबसे आम मिथक है। कार्बोहाइड्रेट को डायबिटीज के रोगियों के लिए खराब माना जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स आपके ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करते है। एक मधुमेह रोगी को कार्बोहाइड्रेट से परहेज करने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस सही प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स का चयन करना है और मात्रा को सीमित करना है।
साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, गेहूं और बाजरा जैसे कार्बोहायड्रेट चुनें। ये पानी में घुल जाने वाले विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होते हैं, और आपके ब्लड शुगर के स्तर को ठीक रखने में मदद कर सकते हैं।
डायबिटीज के रोगियों को फल नहीं खाने चाहिए
फल मीठे होते हैं पर इसका मतलब यह नहीं है कि एक डायबिटीज का रोगी उन्हें हर दिन नहीं खा सकता है। फल एंटीऑक्सिडेंट युक्त विटामिन, खनिजों का एक अच्छा स्रोत हैं, और इनमें काफी फाइबर होते हैं। हालांकि आपको ज्यूस से ज़्यादा, साबुत फलों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, कोशिश करें और भोजन के ठीक बाद फल खाने से बचें क्योंकि यह आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।
सारांश
डायबिटीज किसी के भी स्वास्थ्य के लिए काफी परेशानियां बढ़ा सकता है । परन्तु इसे स्वाभाविक रूप से नियंत्रण में भी लाया जा सकता है। उचित डायबिटिक मील प्लान का पालन करें और स्वास्थ्य जोखिमों से बचें।